Bajrang Baan Lyrics- श्री बजरंग बाण का पाठ व अर्थ- Sangeetjagat.com
Bajrang Baan – श्री बजरंग बाण का पाठ
॥ दोहा ॥
निश्चय प्रेम प्रतीत ते, बिनय करैं सनमान।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान॥
॥ चौपाई ॥
जय हनुमंत संत हितकारी। सुनि लीजै प्रभु अरज हमारी॥
जन के काज विलंब न कीजै। आतुर दौरि महा सुख दीजै॥
जैसे कूदि सिंधु महिपारा। सुरसा बदन पैठि बिस्तारा॥
आगे जाय लंकिनी रोका। मारेहु लात गई सुरलोका॥
जाय विभीषण को सुख दीन्हा। सीता निरखि परम पद लीन्हा॥
बाग उजारि सिंधु महं बोरा। अति आतुर यम कातर तोरा॥
अक्षय कुमार मारि संहारा। लूम लपेटि लंक को जारा॥
लाह समान लंक जरि गई। जय जय धुनि सुरपुर में भई॥
अब विलंब केहि कारण स्वामी। कृपा करहु उर अंतरजामी॥
जय जय लक्ष्मण प्राण के दाता। आतुर होई दुःख हरि त्राता॥
जय गिरिधर जय जय सुखसागर। सुर समूह समरथ भटनागर॥
ॐ हनु हनु हनु हनु हनुमंता। संकट कटै मिटै सबि पीरता॥
जै जै जै धुनि होत अकासा। सुर नर मुनि सब करैं सहायसा॥
जो यह पाठ करै मन लाई। ता पार होत है सारी बंधाई॥
लंक विदारि त्रास निवारि। सुर नर मुनि करै सनराई॥
जै जै जै कपि सो पुनि नामी। संकट कटै मिटै सबि कामी॥
॥ दोहा ॥
निश्चय प्रेम प्रतीत ते, बिनय करैं सनमान।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान॥
॥ समाप्त ॥
अर्थ
दोहा:
जो व्यक्ति श्रद्धा और विश्वास के साथ भगवान हनुमान से विनती करता है,
उसके सारे शुभ कार्य निश्चित रूप से हनुमानजी द्वारा सिद्ध कर दिए जाते हैं।
चौपाई:
हे हनुमानजी! आप संतों के हितकारी हैं, हमारी प्रार्थना सुनिए।
अपने भक्तों का काम देर से न कीजिए, जल्दी दौड़कर हमें महान सुख दीजिए।
जिस प्रकार आपने समुद्र को कूदकर पार किया था,
और सुरसा के विशाल मुंह से होकर निकले थे।
फिर आगे जाकर जब लंकिनी ने आपका मार्ग रोका,
आपने उसे एक लात मारी, जिससे वह स्वर्गलोक चली गई।
आपने विभीषण को सुख प्रदान किया और माता सीता को देखा, जिससे आपको परम पद प्राप्त हुआ।
आपने रावण के बाग को उजाड़ दिया, और समुद्र में बाण से पुल बनाया।
अति आतुर होकर यमराज और राक्षसों को डराया,
और अक्षय कुमार का संहार किया। आपने अपनी पूंछ से लंका जला दी।
लंका लाह (घास) के समान जलकर राख हो गई,
स्वर्गलोक में जय-जयकार की ध्वनि गूंज उठी।
हे प्रभु! अब देर किस बात की है? कृपया हमारे हृदय के अंदर छिपी हुई बातों को जानकर कृपा करें।
हे लक्ष्मण के जीवनदाता! आपकी जय हो, आप बहुत जल्दी आकर हमारे कष्ट हर लेते हैं।
हे गिरिधर (भगवान हनुमान) आपकी जय हो, हे सुख के सागर,
आप सभी देवताओं और भक्तों के सहायक हैं, और युद्ध में बलवान योद्धाओं के नेता हैं।
हे हनुमानजी! आपके नाम का उच्चारण करने से सभी संकट दूर हो जाते हैं और सारे दुःख मिट जाते हैं।
आकाश में आपकी जय-जयकार की ध्वनि गूंजती रहती है, और देवता, ऋषि-मुनि सभी आपकी सहायता करते हैं।
जो भी व्यक्ति इस पाठ को श्रद्धा और मन लगाकर पढ़ता है,
उसकी सारी बाधाएं और परेशानियां समाप्त हो जाती हैं।
आपने लंका को विदीर्ण कर दिया, और वहां का त्रास (भय) नष्ट कर दिया,
देवता, मानव और मुनि सभी आपकी सराहना करते हैं।
हे कपि (हनुमानजी), आपकी जय हो! आपके नाम के स्मरण से सभी संकट और कामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।
दोहा:
जो व्यक्ति प्रेम और विश्वास के साथ आपकी विनती करता है,
उसके सभी कार्य सफल हो जाते हैं, और आप उसके सारे शुभ कार्य सिद्ध करते हैं।
समाप्त
इस प्रकार, बजरंग बाण का अर्थ है कि जो भी हनुमानजी की सच्चे मन से अराधना करता है, उसकी सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं, और संकट समाप्त हो जाते हैं। यह हनुमानजी की शक्ति और भक्तों के प्रति उनकी कृपा को दर्शाता है।
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